उसकी बहू भले आज झुमकी बन गयी हो, वो उसे कल अम्मा नहीं बनने देंगी। उसकी बहू भले आज झुमकी बन गयी हो, वो उसे कल अम्मा नहीं बनने देंगी।
“गूंज रहे थे, खेल रहे थे तार! ऐसा हमने देखा पहली पहली बार!” “गूंज रहे थे, खेल रहे थे तार! ऐसा हमने देखा पहली पहली बार!”
कैसा फ़ूहड़ है! तेरे रहते तो घर में मेज़पोश रह ही नहीं सकता! कैसा फ़ूहड़ है! तेरे रहते तो घर में मेज़पोश रह ही नहीं सकता!
लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखक: विक्टर द्रागून्स्की अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
अंतिम रूप से रोहन की ज़िन्दगी में भी प्यार आ ही गया। अंतिम रूप से रोहन की ज़िन्दगी में भी प्यार आ ही गया।
जिंदगी जी लो यही काफी है मोहब्बत में ना जाने कितने जान लुटाई है। जिंदगी जी लो यही काफी है मोहब्बत में ना जाने कितने जान लुटाई है।